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Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: कांतारा: अ लेजेंड - चैप्टर 1 (Kantara: A Legend - Chapter 1)
रिलीज़: 2 अक्टूबर 2025
शैली (Genre): माइथोलॉजिकल एक्शन ड्रामा
निर्देशक: ऋषभ शेट्टी
मुख्य कलाकार:
ऋषभ शेट्टी (बर्मी)
रुक्मिणी वसंत (राजकुमारी कनकावती)
गुलशन देवैया (राजा कुलशेखर)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी 2022 की 'कांतारा' से लगभग 300-400 साल पहले, कदंब राजवंश (Kadamba Dynasty) के समय की है।
भाग 1: बर्मी और कुलशेखर
बर्मी (ऋषभ शेट्टी) कांतारा जंगल में रहने वाली जनजाति का एक भयंकर योद्धा है। वह कबीले की रक्षा करता है और प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ है।
उस समय, उस इलाके पर बंगरा साम्राज्य के क्रूर राजा कुलशेखर (गुलशन देवैया) का शासन था। राजा कुलशेखर कांतारा जंगल में मौजूद एक 'दिव्य औषधीय बगीचे' (Sacred Spice Garden) को हासिल करना चाहता है, ताकि वह बहुत अमीर और शक्तिशाली बन सके।
भाग 2: बर्मी और कनकावती का प्यार
कहानी में राजा कुलशेखर की बहन, राजकुमारी कनकावती (रुक्मिणी वसंत) की एंट्री होती है। कनकावती एक दयालु स्त्री है, जिसे कबीले के लोगों से सहानुभूति है। उसकी मुलाकात बर्मी से होती है और दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है।
भाग 3: पहला टकराव और गुलिगा का जन्म
राजा कुलशेखर अपनी सेना के साथ कबीले पर हमला कर देता है। इस हमले में बर्मी की पालक माँ (foster mother) मारी जाती है। अपनी माँ की मौत और अपने कबीले की तबाही देखकर बर्मी गुस्से से भर जाता है।
वह पास के एक पवित्र कुएँ में कूद जाता है। उस कुएँ से 'गुलिगा दैव' (GULIGA DAIVA) की उग्र आत्मा निकलती है और बर्मी के शरीर में प्रवेश कर जाती है। 'गुलिगा' के रूप में, बर्मी राजा कुलशेखर की सेना को नष्ट कर देता है और उसे मार डालता है।
भाग 4: राजकुमारी का धोखा
कुलशेखर के मरने के बाद, उसका पिता (पुराना राजा) राजकुमारी कनकावती को रानी बना देता है। बर्मी और कनकावती कबीले और राजघराने के बीच शांति लाने की कोशिश करते हैं।
लेकिन, कनकावती को अपने भाई की मौत का बदला लेना था। वह बर्मी से प्यार का नाटक करती है, लेकिन गुप्त रूप से कबीले के खिलाफ एक साज़िश रचती है। वह एक ऐसा अनुष्ठान करती है जिससे कबीले के बच्चों पर एक रहस्यमयी बीमारी फैल जाती है।
भाग 5: क्लाइमेक्स (GULIGA vs PANJURLI)
जब बर्मी को कनकावती के धोखे का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। वह फिर से 'गुलिगा' का आह्वान करता है।
इसी समय, प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए, 'पंजुरली दैव' (PANJURLI DAIVA - जंगली सूअर वाला देवता) भी प्रकट होता है। पंजुरली दैव, कनकावती के महल और उसके साम्राज्य में आग लगा देता है।
दूसरी तरफ, बर्मी (गुलिगा दैव के रूप में) राजकुमारी कनकावती का सामना करता है और उसे मार डालता है।
अंत (Connecting to Part 1):
अपना बदला पूरा करने और कबीले की रक्षा करने के बाद, बर्मी (गुलिगा दैव के रूप में) वापस उसी पवित्र कुएँ में गोता लगाता है और हमेशा के लिए गायब हो जाता है।
यह फ़िल्म दिखाती है कि यही वह पवित्र कुआँ है जो 'दैव का चक्र' (divine circle) बन जाता है, जहाँ 2022 वाली फ़िल्म में शिवा (ऋषभ शेट्टी) और उसके पिता भी अंत में विलीन हो जाते हैं। यह दिखाती है कि 'पंजुरली' और 'गुलिगा' कबीले के रक्षक क्यों बने।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: थम्मा (Thamma)
रिलीज़: 21 अक्टूबर 2025
शैली (Genre): हॉरर-कॉमेडी, रोमांटिक-थ्रिलर
निर्देशक: आदित्य सरपोतदार (जिन्होंने 'मुंज्या' भी निर्देशित की थी)
मुख्य कलाकार:
आयुष्मान खुराना (आलोक गोयल)
रश्मिका मंदाना (ताड़का / तारिका)
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी (यक्षसन, मुख्य विलेन)
परेश रावल (आलोक के पिता)
कैमियो (विशेष उपस्थिति):
वरुण धवन (भेड़िया/भास्कर के रूप में)
अभिषेक बनर्जी (जनार्दन/जाना के रूप में)
सत्यराज (तांत्रिक प्रभाकर के रूप में)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी भारतीय लोककथाओं के 'बेताल' (Vampire) पर आधारित है।
भाग 1: आलोक और ताड़का की मुलाकात
आलोक गोयल (आयुष्मान खुराना) दिल्ली का एक पत्रकार है। वह ट्रैकिंग के लिए एक जंगल में जाता है जहाँ उस पर एक भालू हमला कर देता है। तभी एक रहस्यमयी लड़की ताड़का (रश्मिका मंदाना) उसकी जान बचाती है।
आलोक को पता चलता है कि वह 'बेताल' (पिशाचों) की दुनिया में फँस गया है। ये बेताल इंसानी खून नहीं पीते, क्योंकि उन्होंने सदियों पहले इंसानों की क्रूरता देखकर ऐसा न करने की कसम खाई थी। ताड़का उसे वापस दिल्ली भेज देती है, लेकिन आलोक उसे अपने साथ दिल्ली ले आता है और उसका नाम 'तारिका' रख देता है।
भाग 2: मुख्य विलेन 'यक्षसन'
बेताल कबीले का पुराना और सबसे शक्तिशाली लीडर 'थम्मा' (जिसका असली नाम यक्षसन है, जिसे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने निभाया है) इस नियम के खिलाफ था। वह इंसानों का खून पीना चाहता था, इसलिए उसे एक शापित गुफा में कैद कर दिया गया था।
भाग 3: आलोक का बदलना
दिल्ली में, आलोक के पिता (परेश रावल) को तारिका के अजीब व्यवहार (जैसे सिर्फ नॉन-वेज खाना) पर शक होता है। एक रात, कुछ गुंडे आलोक और तारिका का पीछा करते हैं और उन पर हमला कर देते हैं। अपनी जान बचाने के लिए तारिका अपने बेताल रूप में आकर उन्हें मार देती है।
बाद में, एक एक्सीडेंट में आलोक की मौत हो जाती है। उसे बचाने के लिए, ताड़का मजबूरन अपनी शक्तियों से आलोक को भी 'बेताल' बना देती है।
भाग 4: भविष्यवाणी और क्लाइमेक्स
बेताल लोक में एक नियम है कि अगर कोई बेताल किसी इंसान को बेताल में बदलता है, तो उसे सज़ा के तौर पर कैद में जाना होगा। ताड़का के ऐसा करते ही, दुष्ट 'यक्षसन' गुफा से आज़ाद हो जाता है।
आलोक को तांत्रिक प्रभाकर (सत्यराज) और जाना (अभिषेक बनर्जी) से पता चलता है कि उसे यक्षसन को हराने के लिए 'भेड़िया' (वरुण धवन) के खून की ज़रूरत होगी।
क्लाइमेक्स में, आलोक और भास्कर (भेड़िया) के बीच लड़ाई होती है। भेड़िया के खून की सिर्फ एक बूँद से आलोक को नई हाइब्रिड शक्तियाँ मिल जाती हैं। वह बेताल लोक वापस जाता है और यक्षसन को एक भीषण लड़ाई में हराकर उसे वापस गुफा में कैद कर देता है। आलोक अब बेताल कबीले का नया 'थम्मा' (लीडर) बन जाता है।
अंत (Post-Credit):
यक्षसन गुफा में कैद है, लेकिन 'स्त्री 2' का 'सरकटा' (बिना सिर वाला भूत) उसे आज़ाद करने के लिए आता है, जो अगली फिल्म का संकेत देता है।

Rohit Choudhary
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⁣#BaahubaliTheEpic is a combined narrative of the two-part Indian film saga, weaving together the grandeur and drama of Baahubali: The Beginning and Baahubali: The Conclusion into one epic tale.

CAST:
Prabhas as Sivudu & Baahubali, Rana Daggubati as Bhallaladeva, Anushka Shetty as Devasena, Tamannaah as Avanthika with Ramya Krishna, Nasser, Sathyaraj, Kiccha Sudeepa, Adivi Sesh, Rakesh Varre, Meka Ramakrishna.

CREW:
Screenplay & Direction: S.S. Rajamouli
Presented by: K. Raghavendra Rao B.A.
Producers: Shobu Yarlagadda & Prasad Devineni
Story: VV Prasad
DOP: K.K. Senthil Kumar
Production Designer: Sabu Cyril
Music Composer: M.M. Keeravaani
VFX Supervision: V. Srinivas Mohan
Sound Design: P.M. Satheesh
Stunt Choreography: Peter Hein
Additional Stunts: King Solomon, Lee Whittakar, Kaloyan Vodenicharov
Dance Choreographers: Prem Rakshit, Shankar, Dinesh Kumar, Jani
Editor: Tammiraju
Costume Designer: Rama Rajamouli, Prashanti Tripirneni
Dialogues:
Telugu - C.H. Vijay Kumar, Ajay Kumar G
Hindi - Manoj Muntashir
Tamil - Karky
DI & Sound Mix: Annapurna Studios
Marketing: Walls & Trends

Rohit Choudhary
18 المشاهدات · منذ 1 شهر

⁣यह एक डॉक्यूमेंट्री-सीरीज़ (docu-series) है, जो 2024 में अमेज़न प्राइम वीडियो (Amazon Prime Video) पर रिलीज़ हुई थी।
यह सीरीज़ किस बारे में है?
यह डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ भारत में "इरोटिका" (Erotica) या जिसे आम भाषा में 'पल्प' (pulp) या 'बी-ग्रेड/सी-ग्रेड' फ़िल्में कहा जाता था, उसके कारोबार की गहराई से पड़ताल करती है।
मुख्य बिंदु:
फ़ोकस (Focus): यह सीरीज़ मुख्य रूप से 1990 और 2000 के दशक पर केंद्रित है। यह वह दौर था जब वीसीआर (VCR) और सिंगल-स्क्रीन सिनेमाघरों में सॉफ्ट-पॉर्न (soft-porn) या इरोटिक फ़िल्मों की ज़बरदस्त मांग थी।
पड़ताल (Investigation): यह दिखाती है कि ये फ़िल्में कैसे बनती थीं, इनकी फंडिंग कहाँ से होती थी, और इन्हें कैसे पूरे भारत के छोटे शहरों के सिनेमाघरों में रिलीज़ किया जाता था।
इंटरव्यू (Interviews): इसमें उस दौर के कई गुमनाम निर्देशकों, निर्माताओं, वितरकों (distributors) और कुछ अभिनेत्रियों के इंटरव्यू शामिल हैं। वे बताते हैं कि वे इस इंडस्ट्री में कैसे आए, उन्हें किन सामाजिक और कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, और इस काम को लेकर उन्हें कैसा महसूस होता था।
शोषण और सेंसरशिप (Exploitation & Censorship): यह सीरीज़ इस इंडस्ट्री के काले सच, जैसे अभिनेत्रियों के शोषण, सेंसर बोर्ड के साथ उनकी लड़ाई, और समाज में उन्हें मिलने वाले तिरस्कार पर भी प्रकाश डालती है।
यह डॉक्यूमेंट्री भारत की उस "डर्टी" फ़िल्म इंडस्ट्री के पूरे व्यापार मॉडल (business model) और उसके पीछे की अनकही कहानियों को उजागर करती है, जिसे मुख्यधारा का सिनेमा हमेशा छिपाता रहा है।

Rohit Choudhary
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⁣नाम: प्रतिनिधि 2 (Prathinidhi 2)
रिलीज़: 10 मई 2024
शैली (Genre): पॉलिटिकल ड्रामा, थ्रिलर
निर्देशक: मूर्ति देवगुप्तपु (एक पत्रकार का निर्देशन में डेब्यू)
मुख्य कलाकार:
नारा रोहित (चेतन / "चे")
सचिन खेडेकर (मुख्य मंत्री प्रजापति)
सिरी लेल्ला (OSD सिरी)
जिस्सु सेनगुप्ता (CBI ऑफिसर विक्रम संतोष)
दिनेश तेज (विश्व, CM का बेटा)
उदय भानु (NNC चैनल की संस्थापक)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी एक निडर और ईमानदार पत्रकार के इर्द-गिर्द घूमती है जो भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था से टकरा जाता है।
भाग 1: ईमानदार पत्रकार 'चे'
चेतन "चे" (नारा रोहित) एक स्वतंत्र और बेखौफ पत्रकार है, जो किसी भी गलत काम के खिलाफ आवाज़ उठाने से नहीं डरता। उसकी इसी ईमानदारी को देखकर, एक NRI (उदय भानु) जो सच को जनता तक पहुँचाना चाहती है, 'NNC' नाम का एक नया न्यूज़ चैनल शुरू करती है और 'चे' को उसका CEO नियुक्त करती है।
'चे' को चैनल चलाने की पूरी आज़ादी दी जाती है। वह तुरंत भ्रष्ट नेताओं और मंत्रियों के घोटालों को उजागर करना शुरू कर देता है। वह अपने लाइव शो पर मंत्रियों से तीखे सवाल पूछता है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच जाती है।
भाग 2: मुख्यमंत्री और उपचुनाव
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रजापति (सचिन खेडेकर) एक ईमानदार नेता हैं, लेकिन उनके आस-पास के मंत्री (जैसे अजय घोष और पृथ्वीराज) भ्रष्ट हैं। 'चे' के शो राज्य में बहुत लोकप्रिय हो जाते हैं। वह अपने एक शो में जनता से वोट के महत्व पर एक भावुक भाषण देता है, जिसका नतीजा यह होता है कि एक उपचुनाव (by-election) में रिकॉर्ड वोटिंग होती है और सत्ताधारी पार्टी का उम्मीदवार हार जाता है।
'चे' की लोकप्रियता बढ़ जाती है, लेकिन वह भ्रष्ट नेताओं की आँखों में खटकने लगता है।
भाग 3: मुख्यमंत्री की हत्या और ट्विस्ट
कहानी में बड़ा मोड़ तब आता है जब मुख्यमंत्री प्रजापति के आवास पर एक ज़ोरदार बम धमाका होता है, जिसमें उनकी मौत हो जाती है। पूरे राज्य में हड़कंप मच जाता है।
CBI ऑफिसर विक्रम संतोष (जिस्सु सेनगुप्ता) को इस हाई-प्रोफाइल हत्या की जांच सौंपी जाती है। जांच के दौरान, पहला शक 'चे' पर जाता है, क्योंकि वह लगातार मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ खबरें दिखा रहा था। 'चे' को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
इंटरव के बाद का ट्विस्ट:
कुछ दिनों बाद, जब CM के बेटे विश्व (दिनेश तेज) को अगला मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी चल रही होती है, तब एक चौंकाने वाला खुलासा होता है। मुख्यमंत्री प्रजापति ज़िंदा लौट आते हैं!
भाग 4: असली साज़िश का खुलासा
CBI ऑफिसर विक्रम और 'चे' मिलकर असली साज़िशकर्ता को ढूँढने में लग जाते हैं। तब यह सच्चाई सामने आती है:
बम धमाका एक नाटक था: CM प्रजापति ने खुद ही अपनी मौत का नाटक रचा था।
मकसद: प्रजापति को पता चल गया था कि उनके अपने ही बेटे 'विश्व' सहित उनकी पार्टी के कई बड़े नेता (जो भ्रष्ट थे) उन्हें रास्ते से हटाकर सत्ता हथियाना चाहते थे।
असली विलेन: असली विलेन खुद CM का बेटा 'विश्व' था, जो अपने पिता के ईमानदार तरीकों से तंग आ गया था और जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनना चाहता था। उसने ही अपने पिता की हत्या की साज़िश रची थी।
प्रजापति ने यह नाटक इसलिए रचा ताकि वह 'चे' की मदद से अपने बेटे और बाकी भ्रष्ट मंत्रियों को रंगे हाथों पकड़ सकें।
क्लाइमेक्स (अंत)
'चे' और CBI ऑफिसर विक्रम, विश्व और उसके साथी भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ सारे सबूत इकट्ठा कर लेते हैं। मुख्यमंत्री प्रजापति अपने बेटे को उसकी साज़िश के लिए गिरफ्तार करवा देते हैं।
'चे' को पत्रकारिता में उसकी बहादुरी के लिए बरी कर दिया जाता है। फ़िल्म इस संदेश के साथ समाप्त होती है कि सभी राजनेता एक जैसे नहीं होते और मीडिया का काम सत्ता से निडर होकर सवाल पूछना है। फ़िल्म के अंत में 'प्रतिनिधि 3' का भी संकेत दिया जाता है।

Rohit Choudhary
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Different nature girl

Rohit Choudhary
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⁣Name: Mission: Impossible
Release Date: 2025
Genre: Action, Spy, Thriller
Key Cast:
Tom Cruise as Ethan Hunt
Hayley Atwell as Grace
Esai Morales as Gabriel
Ving Rhames as Luther Stickell
Simon Pegg as Benji Dunn
Rebecca Ferguson as Ilsa Faust
Vanessa Kirby as Alanna Mitsopolis (The White Widow)
Pom Klementieff as Paris
Director: Christopher McQuarrie

Rohit Choudhary
19 المشاهدات · منذ 1 شهر

⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: जेलर (Jailer)
रिलीज़: 10 अगस्त 2023
निर्देशक: नेल्सन दिलीपकुमार
मुख्य कलाकार:
रजनीकांत (मुथुवेल पांडियन / टाइगर&quot😉
विनायकन (वर्मन)
वसंत रवि (अर्जुन, मुथु का बेटा)
राम्या कृष्णन (मुथु की पत्नी)
अतिथि कलाकार (Cameos):
मोहनलाल (मैथ्यू)
शिवा राजकुमार (नरसिम्हा)
जैकी श्रॉफ (कामराज)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी मुथुवेल पांडियन (रजनीकांत) की है, जो तिहाड़ जेल के एक बेहद सख्त और ईमानदार रिटायर्ड जेलर हैं। उन्हें उनके क्रूर लेकिन न्यायप्रिय तरीकों के लिए टाइगर (Tiger) के नाम से जाना जाता था।
भाग 1: पारिवारिक जीवन
रिटायरमेंट के बाद, मुथुवेल (जिन्हें सब प्यार से 'मुथु' कहते हैं) अपनी पत्नी, बेटे, बहू और पोते के साथ एक सादा और खुशहाल जीवन जी रहे हैं। उनका बेटा, अर्जुन (वसंत रवि), भी अपने पिता की तरह एक ईमानदार ACP (पुलिस ऑफिसर) है।
कहानी में मोड़
अर्जुन, वर्मन (विनायकन) नाम के एक क्रूर तस्कर की जांच कर रहा होता है, जो मंदिरों से प्राचीन मूर्तियाँ चुराकर विदेश में बेचता है। एक दिन, अर्जुन अचानक गायब हो जाता है। पुलिस विभाग यह खबर फैलाता है कि अर्जुन ने भ्रष्ट होकर खुदकुशी कर ली।
मुथुवेल को इस बात पर यकीन नहीं होता। जब वर्मन के गुंडे मुथुवेल के घर आकर उनके परिवार को धमकाते हैं, तब मुथुवेल का पुराना टाइगर वाला रूप जाग जाता है।
भाग 2: टाइगर का बदला
मुथुवेल अपने बेटे के गायब होने की जांच खुद शुरू करते हैं और एक-एक करके वर्मन के आदमियों को खत्म करने लगते हैं। यह पता चलता है कि मुथुवेल सिर्फ एक जेलर नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने समय में बड़े-बड़े अपराधियों से रिश्ते बनाए थे, जो आज उनकी इज़्ज़त करते हैं।
वह कर्नाटक में नरसिम्हा (शिवा राजकुमार) से मदद लेते हैं, जो एक पूर्व-अपराधी है और अब मुथुवेल का वफादार है। नरसिम्हा उसे शूटर और हथियार देता है।
वह केरल में मैथ्यू (मोहनलाल) से मदद लेते हैं, जो एक बड़ा बिज़नेसमैन (और अंडरवर्ल्ड डॉन) है।
मुथुवेल और वर्मन के बीच खूनी खेल शुरू हो जाता है। मुथुवेल, वर्मन के पूरे तस्करी के धंधे को तबाह कर देते हैं।
इंटरव (Interval) का बड़ा ट्विस्ट
जब मुथुवेल, वर्मन को मारने जाते हैं, तो वर्मन उन्हें एक वीडियो दिखाता है। वीडियो में, मुथुवेल का बेटा अर्जुन ज़िंदा होता है।
सच्चाई यह थी: अर्जुन भ्रष्ट हो चुका था। वह वर्मन के साथ मिल गया था ताकि तस्करी में बड़ा हिस्सा ले सके। जब वर्मन ने मना किया, तो अर्जुन ने उसे धमकाया। इसलिए वर्मन ने उसे मारा नहीं, बल्कि बंदी बना लिया।
भाग 3: नया सौदा और असली ट्विस्ट
वर्मन, मुथुवेल के सामने एक शर्त रखता है: अगर वह (मुथुवेल) एक 100 साल पुराना, बेशकीमती 'राज-मुकुट' (Royal Crown) चुराकर उसे दे दे, जो एक मंदिर के म्यूजियम में कड़ी सुरक्षा में रखा है, तो वह अर्जुन को छोड़ देगा।
मजबूर होकर मुथुवेल इस डकैती के लिए हाँ कर देते हैं। वह कामराज (जैकी श्रॉफ) की मदद से एक टीम बनाते हैं और बड़ी चालाकी से वह मुकुट चुरा लेते हैं।
क्लाइमेक्स (Climax)
मुथुवेल, मुकुट लेकर वर्मन के पास पहुँचते हैं। वर्मन, मुथुवेल और अर्जुन दोनों को धोखा देकर मारने की कोशिश करता है। लेकिन 'टाइगर' हमेशा दो कदम आगे रहता है।
मुथुवेल को अपने बेटे अर्जुन की सच्चाई बहुत पहले ही पता चल चुकी थी। उन्हें पता था कि उनका बेटा लालची और भ्रष्ट हो गया है।
अंतिम मोड़ (The Ending):
जब मुथुवेल, वर्मन और उसके आदमियों को खत्म कर देते हैं, तब उनका बेटा अर्जुन भी अपने पिता पर बन्दूक तान देता है और मुकुट माँगता है। वह अपने पिता को मारने के लिए तैयार हो जाता है।
मुथुवेल अपने बेटे को आखिरी मौका देते हुए कहते हैं, सरेंडर कर दो। जब अर्जुन नहीं मानता और गोली चलाने की कोशिश करता है, तो मुथुवेल एक इशारा करते हैं।
दूर छिपे नरसिम्हा (शिवा राजकुमार) के स्नाइपर, अर्जुन को गोली मार देते हैं।
अंत
फ़िल्म इस बात पर खत्म होती है कि मुथुवेल पांडियन (टाइगर) एक ऐसा 'जेलर' है जो न्याय के लिए अपने भ्रष्ट बेटे को भी सज़ा देने से नहीं हिचकिचाता। वह अपने पोते को अपनी तरह एक ईमानदार इंसान बनाने का फैसला करता है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: कांतारा (Kantara: A Legend)
रिलीज़: 30 सितंबर 2022
निर्देशक: ऋषभ शेट्टी
मुख्य कलाकार:
ऋषभ शेट्टी (शिवा)
किशोर (मुरलीधर, फ़ॉरेस्ट ऑफिसर)
अच्युत कुमार (देवेंद्र सुत्तूरु)
सप्तमी गौड़ा (लीला)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी कर्नाटक के तटीय (Coastal) गाँव के एक जंगल (कांतारा) और वहाँ के निवासियों की है, जिनका अपनी ज़मीन और 'दैव' (स्थानीय देवता) में अटूट विश्वास है। कहानी तीन अलग-अलग समय में बंटी हुई है।
भाग 1: 1847 (राजा की कहानी)
एक राजा, जिसके पास सब कुछ था, लेकिन मन की शांति नहीं थी। वह शांति की खोज में एक जंगल में पहुँचता है, जहाँ उसे आदिवासियों द्वारा पूजे जाने वाले एक पत्थर में 'पंजुरली दैव' (जंगली सूअर के रूप वाले देवता) का वास मिलता है। राजा को वहाँ शांति का अनुभव होता है।
राजा, गाँव वालों से वह पत्थर मांगता है। गाँव वाले इस शर्त पर राज़ी होते हैं कि राजा को इसके बदले अपनी ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा उन्हें दान देना होगा। 'दैव' अपने नर्तक (जिसे 'कोला' कहते हैं) के शरीर में आकर राजा को चेतावनी देता है कि अगर राजा या उसके वंशजों ने कभी भी यह ज़मीन वापस लेने की कोशिश की, तो उनके कुल का नाश 'गुलिगा दैव' (पंजुरली के साथी, एक उग्र देवता) के हाथों होगा। राजा यह शर्त मान लेता है।
भाग 2: 1970
राजा के एक लालची वंशज ने उस ज़मीन को वापस हड़पने के लिए कोर्ट में केस कर दिया। गाँव के 'भूत कोला' (दैव का नृत्य) अनुष्ठान के दौरान, उस समय के नर्तक (जो मुख्य किरदार 'शिवा' का पिता था) के शरीर में 'पंजुरली दैव' आता है। वह राजा के वंशज को चेतावनी देता है कि उसका अंत नज़दीक है।
वंशज, दैव का मज़ाक उड़ाता है। दैव का नर्तक गुस्से में "वराsss..." की चीख मारता हुआ जंगल में भाग जाता है और गायब हो जाता है। कुछ महीनों बाद, राजा का वह वंशज कोर्ट की सीढ़ियों पर रहस्यमयी तरीके से खून की उल्टियाँ करके मर जाता है।
भाग 3: 1990 (मुख्य कहानी)
कहानी का मुख्य नायक शिवा (ऋषभ शेट्टी) है, जो उसी गायब हुए नर्तक का बेटा है। शिवा अपने पिता के गायब होने से डरा हुआ है और 'कोला' अनुष्ठान से दूर रहता है। वह एक लापरवाह, खुशमिज़ाज युवक है जो 'कंबाला' (भैंसों की दौड़) का चैंपियन है और गाँव के ज़मींदार देवेंद्र सुत्तूरु (जो उसी राजा का वंशज है) के लिए काम करता है।
कहानी में दो मुख्य संघर्ष हैं:
इंसान बनाम प्रकृति (शिवा vs मुरली):
मुरलीधर (किशोर) एक सख़्त और ईमानदार फ़ॉरेस्ट ऑफिसर है, जिसे उस जंगल को 'रिज़र्व फ़ॉरेस्ट' (सरकारी संरक्षित वन) घोषित करने के लिए भेजा गया है। उसका मानना है कि गाँव वाले जंगल को नुकसान पहुँचा रहे हैं। शिवा और मुरली के बीच जंगल पर अधिकार को लेकर टकराव शुरू हो जाता है। शिवा मानता है कि जंगल उनका घर है, जबकि मुरली मानता है कि यह सरकारी संपत्ति है।
परंपरा बनाम लालच (शिवा vs देवेंद्र):
ज़मींदार देवेंद्र सुत्तूरु, जो बाहर से गाँव वालों का हितैषी होने का नाटक करता है, असल में उनकी ज़मीन (जो 1847 में दान दी गई थी) को धोखे से हड़पना चाहता है। वह जानता है कि वह ज़मीन कानूनी तौर पर नहीं ले सकता, इसलिए वह शिवा और फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली को आपस में लड़वाता है।
कहानी में मोड़ (Climax)
देवेंद्र अपनी साज़िश में कामयाब होने के लिए शिवा के चचेरे भाई गुरुवा (जो अब गाँव का 'दैव नर्तक' है) की हत्या कर देता है। वह इसका इल्ज़ाम फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली पर लगाने की कोशिश करता है और शिवा को मुरली को मारने के लिए भड़काता है।
जब शिवा, मुरली को मारने जाता है, तब उसे सच्चाई पता चलती है कि असली कातिल ज़मींदार देवेंद्र है। देवेंद्र के गुंडे शिवा और गाँव वालों पर हमला कर देते हैं। लड़ाई में शिवा बुरी तरह ज़ख्मी होकर लगभग मर जाता है।
अलौकिक क्लाइमेक्स (The Divine Climax)
जैसे ही शिवा अपनी आखिरी साँसें ले रहा होता है, वह अपने पिता की चीख ("वराsss...") सुनता है। उसी पल, 'गुलिगा दैव' (उग्र देवता) की आत्मा शिवा के शरीर में प्रवेश कर जाती है।
शिवा एक अलौकिक शक्ति के साथ फिर से ज़िंदा होता है। उसका चेहरा 'गुलिगा दैव' की तरह रंगा होता है। वह ज़ोर से चीखता है और एक-एक करके देवेंद्र और उसके सभी गुंडों को बहुत क्रूरता से मार डालता है।
अंत (The Ending)
सब कुछ शांत होने के बाद, शिवा 'पंजुरली दैव' (सौम्य देवता) के रूप में 'भूत कोला' का अनुष्ठान पूरा करता है। 'दैव' उसके शरीर के माध्यम से फ़ॉरेस्ट ऑफिसर मुरली और गाँव वालों के बीच सुलह कराता है और उन्हें जंगल की रक्षा करने का वचन देता है।
अनुष्ठान के अंत में, शिवा (दैव रूप में) गाँव वालों को आशीर्वाद देता है और फिर पीछे हटते हुए जंगल में जाकर उसी तरह गायब हो जाता है, जैसे उसका पिता गायब हुआ था। वह प्रकृति और 'दैव' में विलीन हो जाता है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: बाहुबली 2: द कन्क्लूजन (Baahubali 2: The Conclusion)
रिलीज़: 28 अप्रैल 2017
निर्देशक: एस. एस. राजामौली
मुख्य कलाकार:
प्रभास (अमरेंद्र बाहुबली और महेंद्र बाहुबली/शिवुडु)
राणा दग्गुबाती (भल्लालदेव)
अनुष्का शेट्टी (देवसेना)
सत्यराज (कटप्पा)
राम्या कृष्णन (शिवगामी)
नासर (बिज्जलदेव)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी वहीं से शुरू होती है जहाँ पहली फ़िल्म खत्म हुई थी। कटप्पा, शिवुडु (महेंद्र बाहुबली) को उसके पिता अमरेंद्र बाहुबली की कहानी सुनाना जारी रखता है।
भाग 1: देवसेना से मुलाकात (फ्लैशबैक जारी)
'कालकेय' कबीले पर जीत हासिल करने के बाद, शिवगामी (राम्या कृष्णन) अमरेंद्र बाहुबली को महिष्मती का राजा घोषित कर देती है। राज्याभिषेक से पहले, अमरेंद्र अपनी माँ के कहने पर साम्राज्य का दौरा करने निकलता है, ताकि वह अपनी प्रजा के हाल को समझ सके।
इस यात्रा में वह 'कुंतल' राज्य पहुँचता है। वहाँ उसकी मुलाकात राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) से होती है। देवसेना एक निडर, सुंदर और स्वाभिमानी योद्धा थी। अमरेंद्र उसे अपना दिल दे बैठता है और अपनी असली पहचान छिपाकर, एक आम इंसान बनकर उसके राज्य में रहने लगता है।
भाग 2: साज़िश की शुरुआत
इधर महिष्मती में, भल्लालदेव (राणा दग्गुबाती) और उसका पिता बिज्जलदेव (नासर) गुस्से में थे। भल्लालदेव भी देवसेना की तस्वीर देखकर उसे पाना चाहता है। वह अपनी माँ शिवगामी से देवसेना से शादी करने की ज़िद करता है।
शिवगामी, जो अमरेंद्र के प्यार से अनजान थीं, कुंतल राज्य को संदेश भिजवाती हैं कि वे देवसेना का विवाह भल्लालदेव से करना चाहती हैं।
भाग 3: टकराव और वचन
देवसेना, जिसे यह रिश्ता मंजूर नहीं था, शिवगामी के भेजे दूत का और उस प्रस्ताव का बुरी तरह अपमान कर देती है। यह बात सुनकर शिवगामी आग-बबूला हो जाती है और देवसेना को बंदी बनाकर महिष्मती लाने का आदेश देती है।
जब महिष्मती के सैनिक कुंतल पर हमला करते हैं, तब अमरेंद्र बाहुबली अपनी असली पहचान उजागर करता है और देवसेना की रक्षा करता है। वह देवसेना को "वचन" देता है कि वह उसकी इज़्ज़त और जान की रक्षा करेगा और उसे अपने साथ महिष्मती ले आता है।
भाग 4: शिवगामी का फैसला
महिष्मती के भरे दरबार में, शिवगामी अमरेंद्र से कहती है कि वह या तो "राजगद्दी" चुने या "देवसेना"।
अमरेंद्र बाहुबली, अपने वचन और प्यार को निभाते हुए, "देवसेना" को चुनता है और राजगद्दी त्याग देता है। शिवगामी तुरंत भल्लालदेव को महिष्मती का नया राजा घोषित कर देती है।
भाग 5: बाहुबली का निष्कासन
भले ही भल्लालदेव राजा बन गया, लेकिन प्रजा अभी भी अमरेंद्र बाहुबली को ही अपना राजा मानती थी। इससे भल्लालदेव की नफरत और बढ़ गई। उसने साज़िश रचकर अमरेंद्र और गर्भवती देवसेना को महल से निर्वासित (banish) कर दिया।
दोनों महल छोड़कर आम जनता के बीच खुशी-खुशी रहने लगते हैं। इसी बीच देवसेना एक बेटे (महेंद्र बाहुबली) को जन्म देती है।
भाग 6: मुख्य रहस्य - कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा?
भल्लालदेव और बिज्जलदेव एक आखिरी और सबसे घिनौनी चाल चलते हैं। वे शिवगामी को यह यकीन दिला देते हैं कि अमरेंद्र बाहुबली, राजा भल्लालदेव को मारना चाहता है।
शिवगामी, जो पहले से ही देवसेना के कारण अमरेंद्र से नाराज़ थी, इस झूठ पर यकीन कर लेती है। वह अपने सबसे वफादार गुलाम कटप्पा (सत्यराज) को आदेश देती है कि वह अमरेंद्र बाहुबली की हत्या कर दे।
कटप्पा, जो महिष्मती के सिंहासन के प्रति अपनी शपथ से बंधा हुआ था, उसे राजमाता का आदेश मानना ही पड़ा। वह धोखे से अमरेंद्र को एक सुनसान जगह पर बुलाता है और भारी मन से उसकी पीठ में तलवार घोंप देता है। अमरेंद्र बाहुबली, अपने सबसे भरोसेमंद 'मामा' (कटप्पा) के हाथों मरते हुए दम तोड़ देता है।
भाग 7: शिवगामी का पश्चाताप
जब कटप्पा, अमरेंद्र को मारकर शिवगामी को यह खबर देता है, तभी भल्लालदेव अपनी असली रूप दिखाता है और देवसेना और उसके नवजात बच्चे को भी मारने की कोशिश करता है। तब शिवगामी को अपनी भयानक गलती का एहसास होता है। वह बच्चे (महेंद्र बाहुबली) को बचाकर महल से भागती है (जैसा कि पहली फ़िल्म के शुरू में दिखाया गया था), और देवसेना को बंदी बना लिया जाता है।
भाग 8: क्लाइमेक्स (वर्तमान)
पूरी सच्चाई जानने के बाद, महेंद्र बाहुबली (शिवुडु) का खून खौल उठता है। वह कटप्पा, अवंतिका और कुंतल राज्य के बचे हुए सैनिकों के साथ महिष्मती पर हमला कर देता है।
महेंद्र और भल्लालदेव के बीच भयंकर युद्ध होता है। अंत में, महेंद्र बाहुबली अपने ताऊ भल्लालदेव को हरा देता है और उसे उसी चिता में ज़िंदा जलाकर मार देता है, जिस पर भल्लालदेव ने देवसेना को मारने की तैयारी की थी।
अंत
महेंद्र बाहुबली अपनी माँ देवसेना को 25 साल की कैद से आज़ाद कराता है, अपने पिता की मौत का बदला लेता है और महिष्मती का नया राजा बनता है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: बाहुबली: द बिगिनिंग (Baahubali: The Beginning)


रिलीज़: 10 जुलाई 2015
निर्देशक: एस. एस. राजामौली (S. S. Rajamouli)
मुख्य कलाकार:
प्रभास (शिवुडु / महेंद्र बाहुबली और अमरेंद्र बाहुबली)
राणा दग्गुबाती (भल्लालदेव)
तमन्ना भाटिया (अवंतिका)
अनुष्का शेट्टी (देवसेना)
सत्यराज (कटप्पा)
राम्या कृष्णन (शिवगामी)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
भाग 1: शिवुडु का बचपन
कहानी की शुरुआत महिष्मती साम्राज्य की राजमाता शिवगामी (राम्या कृष्णन) से होती है, जो ज़ख्मी हालत में एक बच्चे को गोद में लिए भाग रही हैं। सैनिक उनका पीछा कर रहे होते हैं। वह सैनिकों को मार देती हैं, लेकिन नदी पार करते समय डूबने लगती हैं। अपनी जान देने से पहले, वह बच्चे को हाथ में उठाकर भगवान से प्रार्थना करती हैं कि यह बच्चा (महेंद्र बाहुबली) जीना चाहिए।
नदी के पास रहने वाले एक आदिवासी कबीले के लोग उस बच्चे को बचा लेते हैं। कबीले की मुखिया संगा, उसे अपने बेटे की तरह पालती है और उसका नाम शिवुडु (प्रभास) रखती है।
शिवुडु बचपन से ही उस विशाल झरने (Waterall) को देखकर आकर्षित होता है, जहाँ से वह आया था। वह बार-बार उस झरने पर चढ़ने की कोशिश करता है, लेकिन नाकाम रहता है।
भाग 2: अवंतिका से मुलाकात
बड़ा होकर शिवुडु एक बेहद ताकतवर इंसान बनता है। एक दिन, झरने के ऊपर से एक लकड़ी का मुखौटा (Mask) गिरता है। शिवुडु उस मुखौटे की काल्पनिक सुंदरी से मिलने के लिए प्रेरित होता है और अपनी पूरी ताकत लगाकर आखिरकार उस विशाल झरने को चढ़ने में कामयाब हो जाता है।
ऊपर पहुँचकर वह अवंतिका (तमन्ना भाटिया) से मिलता है। अवंतिका एक विद्रोही समूह की योद्धा है। इस समूह का एक ही मकसद है—महिष्मती के क्रूर राजा भल्लालदेव (राणा दग्गुबाती) की कैद में 25 सालों से बंद अपनी रानी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) को आज़ाद कराना।
शिवुडु, अवंतिका से प्यार करने लगता है और देवसेना को छुड़ाने का मिशन वह अपने हाथ में ले लेता है।
भाग 3: महिष्मती में प्रवेश
शिवुडु भेष बदलकर महिष्मती पहुँचता है। उसी समय भल्लालदेव अपनी 100 फुट ऊँची सोने की मूर्ति का अनावरण कर रहा होता है। शिवुडु छिपकर काम करता है और रात के अँधेरे में देवसेना को कैद से आज़ाद करा लेता है।
जब वे भाग रहे होते हैं, तो राजा का वफादार गुलाम और सेनापति कटप्पा (सत्यराज) उन्हें रोक लेता है। शिवुडु और कटप्पा के बीच लड़ाई होती है। लड़ाई के दौरान, शिवुडु का नकाब उतर जाता है।
शिवुडु का चेहरा देखते ही कटप्पा चौंक जाता है और उसके पैरों में गिरकर "बाहुबली!" चिल्लाने लगता है।
भाग 4: अतीत की कहानी (फ्लैशबैक)
शिवुडु (जिसका असली नाम महेंद्र बाहुबली है) को कुछ समझ नहीं आता। तब कटप्पा उसे उसके असली पिता अमरेंद्र बाहुबली (प्रभास का डबल रोल) की कहानी सुनाना शुरू करता है।
कटप्पा बताता है:
महिष्मती के राजा की मृत्यु के बाद, राजमाता शिवगामी ने अपने बेटे भल्लालदेव और अपने देवर के बेटे अमरेंद्र बाहुबली (जो शिवुडु का पिता था) को पाला।
दोनों भाइयों को राजसिंहासन के लिए बराबर शिक्षा दी गई। अमरेंद्र बाहुबली दयालु और प्रजा का प्यारा था, जबकि भल्लालदेव क्रूर और ताकत का भूखा था।
शिवगामी ने फैसला किया कि जो 'कालकेय' नाम के क्रूर कबीले को युद्ध में हराएगा, वही राजा बनेगा।
युद्ध में, भल्लालदेव ने क्रूरता से कालकेय के राजा को मार दिया। लेकिन अमरेंद्र बाहुबली ने न सिर्फ युद्ध जीता, बल्कि अपनी रणनीति से हज़ारों बेगुनाह लोगों की जान भी बचाई।
अमरेंद्र की इसी इंसानियत और वीरता को देखकर, शिवगामी ने उसे महिष्मती का नया राजा घोषित कर दिया।
भाग 5: सबसे बड़ा क्लिफहैंगर
कटप्पा की कहानी सुनकर शिवुडु (महेंद्र बाहुबली) पूछता है कि अगर मेरे पिता अमरेंद्र बाहुबली इतने महान राजा थे, तो वे आज कहाँ हैं?
कटप्पा रोते हुए और काँपते हुए जवाब देता है:
"उन्हें... मैंने ही मारा था।"
(यहाँ फ़िल्म का पहला भाग खत्म हो जाता है और इस सवाल का जवाब 'बाहुबली 2: द कन्क्लूजन' में दिया गया है।)

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: कुली (Coolie)
रिलीज़: 14 अगस्त 2025 (सिनेमाघर) | 11 सितंबर 2025 OTT
शैली (Genre): एक्शन, क्राइम ड्रामा
निर्देशक: लोकेश कनगराज (Lokesh Kanagaraj)
मुख्य कलाकार:
रजनीकांत (देवा)
नागार्जुन (साइमन)
आमिर खान (दाहा - विशेष उपस्थिति)
सौबिन शाहिर (दयालन)
सत्यराज (राजशेखर)
श्रुति हासन (प्रीति)

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी देवा (रजनीकांत) की है, जो एक बंदरगाह (port) पर 'कुली' यूनियन का पूर्व लीडर है। वह अब अपराध की दुनिया छोड़कर एक शांत जीवन जी रहा है और एक बड़ी हवेली का मालिक है।
कहानी की शुरुआत
देवा का सबसे अच्छा दोस्त राजशेखर (सत्यराज) है। एक दिन, राजशेखर की अचानक "दिल का दौरा" पड़ने से मौत हो जाती है। देवा को यह बात अजीब लगती है और उसे शक होता है कि यह एक सामान्य मौत नहीं है।
जांच और खुलासा
देवा अपने दोस्त की मौत की जांच खुद शुरू करता है। उसे पता चलता है कि राजशेखर की हत्या की गई थी। इस जांच के दौरान, देवा का सामना एक बहुत बड़े और क्रूर अपराध सिंडिकेट से होता है, जो सोने (gold) और लग्ज़री घड़ियों की तस्करी (smuggling) का कारोबार करता है।
मुख्य खलनायक
इस सिंडिकेट को दो लोग चलाते हैं:
साइमन (नागार्जुन): सिंडिकेट का मुख्य बॉस, जो बहुत शातिर और खतरनाक है।
दयालन (सौबिन शाहिर): साइमन का दाहिना हाथ, जो बहुत क्रूर है और बंदरगाह पर सारा काम संभालता है।
संघर्ष (Conflict)
देवा को पता चलता है कि उसके दोस्त राजशेखर ने इस सिंडिकेट के खिलाफ कुछ सबूत जुटा लिए थे, जिस वजह से उसे मार दिया गया। देवा, जो अपना पुराना हिंसक जीवन छोड़ चुका था, अब बदला लेने के लिए मजबूर हो जाता है।
वह अपने पुराने 'कुली' अवतार में वापस आता है और एक-एक करके साइमन के आदमियों को खत्म करना शुरू कर देता है।
आमिर खान का किरदार
कहानी में दाहा (आमिर खान) की एंट्री होती है, जो एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर है और साइमन के साथ व्यापार करने आता है। देवा का टकराव दाहा से भी होता है।
क्लाइमेक्स (अंत)
देवा बंदरगाह पर साइमन, दयालन और दाहा के पूरे गिरोह से भिड़ता है। वह यह भी खुलासा करता है कि वह सिर्फ एक कुली नहीं था, बल्कि एक अंडरकवर एजेंट था जिसने अपराध की दुनिया में घुसपैठ की थी।
अंत में, देवा अपने दोस्त की मौत का बदला लेता है और पूरे तस्करी रैकेट को खत्म कर देता है। यह फ़िल्म लोकेश कनगराज के सिनेमैटिक यूनिवर्स (LCU) का हिस्सा नहीं है, यह एक अलग कहानी है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: कल्कि 2898 AD (Kalki 2898 AD)
रिलीज़: 27 जून 2024
शैली (Genre): एपिक साइंस-फिक्शन, माइथोलॉजी, डायस्टोपियन
निर्देशक: नाग अश्विन
मुख्य कलाकार:
प्रभास (भैरव)
अमिताभ बच्चन (अश्वत्थामा)
कमल हासन (सुप्रीम यास्किन)
दीपिका पादुकोण (SUM-80 / पद्मा)
दिशा पाटनी (रॉक्सी)

यह कहानी भविष्य में 2898 AD की है। दुनिया तबाह हो चुकी है और सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) नाम का एक क्रूर शासक 'काशी' शहर पर राज करता है।
6000 साल पहले, महाभारत के अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन) को श्राप मिला था कि वे 'कल्कि' अवतार के जन्म तक भटकते रहेंगे और उनकी रक्षा करेंगे।
'द कॉम्प्लेक्स' में, पद्मा (दीपिका पादुकोण) नाम की एक महिला के गर्भ में 'कल्कि' पल रहा है। यास्किन उस बच्चे को मारना चाहता है।
भैरव (प्रभास) एक इनामी शिकारी है, जो पैसों के लिए पद्मा को पकड़ना चाहता है।
कहानी का मुख्य संघर्ष यह है कि अश्वत्थामा, पद्मा को भैरव और यास्किन की सेना से बचाने की कोशिश करते हैं। अंत में, भैरव का दिल बदल जाता है (उसे पता चलता है कि वह कर्ण का अंश है) और वह भी अश्वत्थामा के साथ मिल जाता है।
फ़िल्म के अंत में, दोनों मिलकर पद्मा को 'शम्बाला' (विद्रोहियों का शहर) ले जाते हैं, जहाँ 'कल्कि' का जन्म होता है। अश्वत्थामा का 6000 साल का इंतज़ार खत्म होता है और अब असली लड़ाई शुरू होने वाली है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: छोरी 2 (Chhorii 2)
रिलीज़: 2023
शैली (Genre): हॉरर, थ्रिलर .
मुख्य कलाकार: नुसरत भरुचा (साक्षी), सोहा अली खान (मेहर)
निर्देशक: विशाल फुरिया

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी पहली फ़िल्म के ठीक अंत से शुरू होती है।
नई शुरुआत
साक्षी (नुसरत भरुचा) गन्ने के खेतों वाले उस भयानक गाँव से अपनी नवजात बेटी (वानी) को लेकर भाग निकलती है। वह बदहवास हालत में सड़क पर पहुँचती है, जहाँ मेहर (सोहा अली खान) और उसका पति उसे देखते हैं। वे साक्षी और उसकी बच्ची को बचा लेते हैं।
मेहर शहर में "आश्रय" नाम का एक शेल्टर होम (आश्रम) चलाती है, जो बेसहारा और पीड़ित महिलाओं और बच्चों को पनाह देता है। साक्षी को अस्पताल ले जाने के बाद, मेहर उसे अपने शेल्टर होम में रहने की जगह देती है, ताकि वह और उसकी बेटी सुरक्षित रह सकें।
शेल्टर होम का रहस्य
साक्षी को लगता है कि वह और वानी अब सुरक्षित हैं। वह गाँव में हुई भयानक घटनाओं के सदमे (Trauma/PTSD) से उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन, जल्द ही उसे "आश्रय" में भी अजीब और डरावनी चीज़ें महसूस होने लगती हैं।
उसे डरावने साये दिखने लगते हैं और बच्ची के पास अजीब घटनाएँ होती हैं। साक्षी को डर लगता है कि गाँव वाली आत्मा (छोटी माई) उसकी बेटी के लिए उसे यहाँ भी ढूँढते हुए आ गई है।
डर का अगला पड़ाव
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, साक्षी को एहसास होता है कि इस शेल्टर होम में भी कुछ ठीक नहीं है।
नया भूत: उसे पता चलता है कि यह आत्मा 'छोटी माई' नहीं, बल्कि कोई और है, जो इसी शेल्टर होम से जुड़ी है।
मेहर का राज: मेहर का किरदार भी रहस्यमयी है। वह बहुत ज़्यादा प्रोटेक्टिव है और शेल्टर होम के कुछ हिस्सों में किसी को जाने नहीं देती।
पुराना अभिशाप: साक्षी को पता चलता है कि यह नई आत्मा एक बच्चे की है, जिसकी मौत शेल्टर होम में ही रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी, और वह अब वानी को अपना दोस्त बनाना चाहती है या उसे नुकसान पहुँचाना चाहती है।
क्लाइमेक्स (अंत)
क्लाइमेक्स में यह खुलासा होता है कि शेल्टर होम में रहने वाली एक दूसरी महिला, जो अपनी बेटी को खो चुकी थी, इस सब के पीछे थी। वह किसी तरह की तांत्रिक पूजा कर रही थी ताकि वह अपनी मरी हुई बेटी की आत्मा को साक्षी की बेटी वानी के शरीर में डाल सके।
डरावनी आत्मा असल में उसी मरी हुई बच्ची की थी, जिसे उसकी अपनी माँ ने ही पूजा के लिए बलि चढ़ा दिया था।
साक्षी को अब न केवल उस तांत्रिक महिला से, बल्कि उस गुस्सैल बच्ची की आत्मा से भी अपनी बेटी को बचाना है। वह एक बार फिर एक माँ की तरह लड़ती है। वह उस तांत्रिक अनुष्ठान को रोकती है और बुरी आत्मा को शांत करती है।
अंत
फ़िल्म के अंत में, साक्षी उस शेल्टर होम की बुराई को खत्म कर देती है। मेहर को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने उन महिलाओं पर पूरा ध्यान नहीं दिया। साक्षी यह समझ जाती है कि वह सदमे में नहीं है, बल्कि बुराई सच में मौजूद है। वह अपनी बेटी वानी को लेकर उस शेल्टर होम से निकल जाती है, एक नई और सुरक्षित जगह की तलाश में।
यह फ़िल्म एक माँ के अपनी बेटी को बचाने के संघर्ष को जारी रखती है, जो अब सिर्फ सामाजिक कुरीतियों से नहीं, बल्कि अलौकिक शक्तियों से भी लड़ रही है।

Rohit Choudhary
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⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: छोरी (Chhorii)
रिलीज़: 2021
शैली (Genre): हॉरर, थ्रिलर, सोशल ड्रामा
मुख्य कलाकार: नुसरत भरुचा (साक्षी), मीता वशिष्ठ (भन्नो देवी)
निर्देशक: विशाल फुरिया

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी साक्षी (नुसरत भरुचा) और उसके पति हेमंत की है। साक्षी आठ महीने की गर्भवती है। हेमंत ने कुछ लोगों से बहुत ज़्यादा पैसा उधार लिया होता है और वे लोग उन्हें धमका रहे होते हैं। अपनी और अपने अजन्मे बच्चे की जान बचाने के लिए, वे दोनों शहर छोड़कर भाग जाते हैं।
गाँव में आगमन
हेमंत का ड्राइवर, काजला, उन्हें अपनी जान-पहचान वालों के पास एक दूर-दराज के गाँव में ले जाता है। यह गाँव गन्ने के बड़े-बड़े खेतों के बीच में है। वे एक बूढ़े जोड़े, भन्नो देवी और उनके पति, के घर में पनाह लेते हैं। भन्नो देवी एक दाई (midwife) हैं और वह साक्षी की देखभाल करने लगती हैं।
अजीब घटनाएँ
जल्द ही, साक्षी को उस घर और गाँव में कुछ अजीब महसूस होने लगता है। उसे गन्ने के खेतों में तीन छोटे बच्चे दिखाई देते हैं, जो उसे डराते हैं। उसे एक पुरानी, जली हुई सी साड़ी पहने एक औरत (जिसे 'छोटी माई' कहा जाता है) का भूत दिखाई देने लगता है।
भन्नो देवी उसे बताती हैं कि यह सब उसका वहम है, जो गर्भावस्था में हो जाता है। वह साक्षी को घर के चारों ओर एक 'लक्ष्मण रेखा' खींचकर देती है और उसे उस घेरे से बाहर न निकलने की चेतावनी देती है।
राज का खुलासा
साक्षी को धीरे-धीरे उस घर के रहस्य पता चलने लगते हैं:
तीन बच्चे: वे तीन बच्चे असल में भन्नो देवी के तीन बेटे थे, जो पैदा होते ही मर गए थे।
छोटी माई (भूत): भन्नो देवी की एक बहू थी (काजला की पत्नी), जो गर्भवती थी। भन्नो देवी के पति और बेटों ने उस बहू के पेट में बेटी होने के शक में उसे मार दिया था। वही औरत अब 'छोटी माई' का भूत बनकर भटक रही है।
खतरनाक परंपरा: साक्षी को पता चलता है कि यह पूरा गाँव एक भयानक परंपरा का शिकार है। वे लोग बेटियों को जन्म लेते ही मार देते हैं (कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या)।
असली मक़सद
कहानी का सबसे बड़ा मोड़ तब आता है जब साक्षी को पता चलता है कि हेमंत और काजला उसे यहाँ जानबूझकर लाए थे। हेमंत ने गाँव वालों के साथ एक सौदा किया था। गाँव का मानना था कि अगर वे एक गर्भवती औरत (जिसके पेट में बेटा हो) की बलि चढ़ाएंगे, तो उनके गाँव का 'श्राप' (छोटी माई का भूत) खत्म हो जाएगा और उनके खेतों में फिर से फसल उगने लगेगी। हेमंत को इसके बदले पैसे मिलने वाले थे।
भन्नो देवी, जो शुरू में साक्षी की देखभाल करती दिख रही थी, असल में इस पूरी साज़िश की मुखिया थी। वह साक्षी के बच्चे के पैदा होने का इंतज़ार कर रही थी ताकि वे उसकी बलि दे सकें।
क्लाइमेक्स (अंत)
साक्षी को प्रसव पीड़ा (लेबर पेन) शुरू हो जाती है। भन्नो देवी उसकी डिलीवरी कराती है। साक्षी एक बेटी को जन्म देती है।
जैसे ही भन्नो देवी उस बच्ची को मारने के लिए उठाती है, 'छोटी माई' का भूत वहाँ आ जाता है। भन्नो देवी को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने भी एक औरत होकर दूसरी औरतों के साथ इतना गलत किया। भूत भन्नो देवी और उसके पति को मार देता है।
अंत
सुबह होती है। साक्षी अपनी नवजात बेटी को गोद में लेकर उस घर से बाहर निकलती है। वह गन्ने के खेतों के बीच से अकेली चली जाती है। खेतों में उसे वे तीन बच्चे फिर से दिखते हैं, लेकिन इस बार वे मुस्कुरा रहे होते हैं, मानो वे भी आज़ाद हो गए हों।
यह फ़िल्म हॉरर के साथ-साथ 'कन्या भ्रूण हत्या' जैसे गंभीर सामाजिक मुद्दे को बहुत पुरज़ोर तरीके से उठाती है।

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