السراويل القصيرة خلق
इतना समझ तो आ गया की Naresh Meena विधायक जैसी इतनी छोटी सोच लेकर तो पैदा नहीं हुआ हैं ।
18 साल की उम्र से संघर्ष , सैकड़ों जनमानस की लडाई के मुकदमे , दो बार जेल में , लगातार तीन चुनाव में हार ।
फिर भी वहीं ऊर्जा और वहीं कुछ करने का जुनून।
कभी कभी सोचते है आखिर ये किस मिट्टी का बना है की जिसने पिछले कई दिनों से परिवार और बच्चों के लिए कुल मिलाकर 4-5 दिन भी नहीं दिये ।
एक सरपंच का चुनाव हारने में , एक कम्पिटिशन में फेल होने में , एक परीक्षा में कम नम्बर आने में ही इंसान टूट सा जाता हैं । रास्ता बदल लेता है।
फिर भी क्या आदमी है की थकता ही नहीं ।
हर चुनाव के, आन्दोलन के और इनकी कुछ गलतियो के बाद कोई न कोई गेल चलता ज्ञान दे जाता है की तुम चढाते रहते हो इसलिए हार गया , इसलिए ये गलत कर दिया , तो सोचते है यार क्यों इनके चक्कर में हम दुनियाँ की गलत बात सुने ।
लेकिन फिर इनके संघर्ष को देखकर रोक नहीं पाते ।
इतिहास में कई महान लोग ऐसे हुए है जिन्होंने कभी सत्ता की मलाई न चखी हो लेकिन पब्लिक के प्यार ने उन्हें हमेशा अमृत पान कराया हैं ।
कसम से लाखों लोगों की नजर में आप विधायक से बहुत ज्यादा सम्माननीय हो ।
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