प्रभु जगन्नाथ भी पान सेवन करते हैं
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08 Dicembre 2025
यह कथा प्रभुदास नामक सरल भक्त की अद्भुत भक्ति और भगवान जगन्नाथ के अपार कृपा‐चमत्कार को दर्शाती है। प्रभुदास रोज़ दो दिव्य युवकों को बिना दाम लिए पान खिला देते थे। जब बलराम दास ने उन्हें दाम माँगने को कहा, तब उन युवकों ने अपनी चादरें बंधक रखकर पान लिया। अगले दिन मंदिर में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र की वही श्वेत चादरें गायब मिलीं। राजा प्रताप रुद्रदेव को स्वप्न में सच्चाई बताकर भगवान ने सेवकों को दंड से बचाया और पान भोग की प्रथा आरंभ हुई। अंत में प्रभुदास को साक्षात दर्शन का सौभाग्य मिला।
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