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Chhorii 2 Hindi Full HD

9 Tampilan· 30 Oktober 2025
Rohit Choudhary
Rohit Choudhary
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Di Film

⁣फ़िल्म का विवरण
नाम: छोरी 2 (Chhorii 2)
रिलीज़: 2023
शैली (Genre): हॉरर, थ्रिलर .
मुख्य कलाकार: नुसरत भरुचा (साक्षी), सोहा अली खान (मेहर)
निर्देशक: विशाल फुरिया

फ़िल्म की पूरी कहानी (Spoiler Alert)
यह कहानी पहली फ़िल्म के ठीक अंत से शुरू होती है।
नई शुरुआत
साक्षी (नुसरत भरुचा) गन्ने के खेतों वाले उस भयानक गाँव से अपनी नवजात बेटी (वानी) को लेकर भाग निकलती है। वह बदहवास हालत में सड़क पर पहुँचती है, जहाँ मेहर (सोहा अली खान) और उसका पति उसे देखते हैं। वे साक्षी और उसकी बच्ची को बचा लेते हैं।
मेहर शहर में "आश्रय" नाम का एक शेल्टर होम (आश्रम) चलाती है, जो बेसहारा और पीड़ित महिलाओं और बच्चों को पनाह देता है। साक्षी को अस्पताल ले जाने के बाद, मेहर उसे अपने शेल्टर होम में रहने की जगह देती है, ताकि वह और उसकी बेटी सुरक्षित रह सकें।
शेल्टर होम का रहस्य
साक्षी को लगता है कि वह और वानी अब सुरक्षित हैं। वह गाँव में हुई भयानक घटनाओं के सदमे (Trauma/PTSD) से उबरने की कोशिश कर रही है। लेकिन, जल्द ही उसे "आश्रय" में भी अजीब और डरावनी चीज़ें महसूस होने लगती हैं।
उसे डरावने साये दिखने लगते हैं और बच्ची के पास अजीब घटनाएँ होती हैं। साक्षी को डर लगता है कि गाँव वाली आत्मा (छोटी माई) उसकी बेटी के लिए उसे यहाँ भी ढूँढते हुए आ गई है।
डर का अगला पड़ाव
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, साक्षी को एहसास होता है कि इस शेल्टर होम में भी कुछ ठीक नहीं है।
नया भूत: उसे पता चलता है कि यह आत्मा 'छोटी माई' नहीं, बल्कि कोई और है, जो इसी शेल्टर होम से जुड़ी है।
मेहर का राज: मेहर का किरदार भी रहस्यमयी है। वह बहुत ज़्यादा प्रोटेक्टिव है और शेल्टर होम के कुछ हिस्सों में किसी को जाने नहीं देती।
पुराना अभिशाप: साक्षी को पता चलता है कि यह नई आत्मा एक बच्चे की है, जिसकी मौत शेल्टर होम में ही रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी, और वह अब वानी को अपना दोस्त बनाना चाहती है या उसे नुकसान पहुँचाना चाहती है।
क्लाइमेक्स (अंत)
क्लाइमेक्स में यह खुलासा होता है कि शेल्टर होम में रहने वाली एक दूसरी महिला, जो अपनी बेटी को खो चुकी थी, इस सब के पीछे थी। वह किसी तरह की तांत्रिक पूजा कर रही थी ताकि वह अपनी मरी हुई बेटी की आत्मा को साक्षी की बेटी वानी के शरीर में डाल सके।
डरावनी आत्मा असल में उसी मरी हुई बच्ची की थी, जिसे उसकी अपनी माँ ने ही पूजा के लिए बलि चढ़ा दिया था।
साक्षी को अब न केवल उस तांत्रिक महिला से, बल्कि उस गुस्सैल बच्ची की आत्मा से भी अपनी बेटी को बचाना है। वह एक बार फिर एक माँ की तरह लड़ती है। वह उस तांत्रिक अनुष्ठान को रोकती है और बुरी आत्मा को शांत करती है।
अंत
फ़िल्म के अंत में, साक्षी उस शेल्टर होम की बुराई को खत्म कर देती है। मेहर को अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने उन महिलाओं पर पूरा ध्यान नहीं दिया। साक्षी यह समझ जाती है कि वह सदमे में नहीं है, बल्कि बुराई सच में मौजूद है। वह अपनी बेटी वानी को लेकर उस शेल्टर होम से निकल जाती है, एक नई और सुरक्षित जगह की तलाश में।
यह फ़िल्म एक माँ के अपनी बेटी को बचाने के संघर्ष को जारी रखती है, जो अब सिर्फ सामाजिक कुरीतियों से नहीं, बल्कि अलौकिक शक्तियों से भी लड़ रही है।

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Nidhi Sahu
Nidhi Sahu 1 bulan yang lalu

really good movie

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